शनिवार, 13 अक्तूबर 2012

मीडिया वाले लई डारेन....


   भईया......... यू दुई हजार बारा तौ नीके-नीके लगभग निपटिही गा, दुई-ढाई महिना बचे हैं, जो बरम बाबा केर किरपा बनी रही तौ यहौ निपटि जाई। मुला का बताई यू साल राम-राम कइके कइसे बीता है, यू हमहीं जानित है। अरे, पार साल ई मीडिया वाले बहुत डेरवा दीन्हेन, कउनौ बतायेस दुई हजार बारा मा या दुनिया खतम होई जाई, कउनौ बतायेस सूरज ते सूनामी आई, औ कोई बतायेस भगवान जाने कहाँ सेने उलका गिरी, जलजला आई औ सब नस्ट-भस्ट होई जाई.... दुई-चार महिना तक यू सब बताय-बताय के चैनल वाले हमार खोपsड़ी चाटि गे.... औ हम तौ ठहरेन सिर्री मनई, सोचेन जब ई पंचै, पढ़े-लिखे लोग बताय रहे हैं तौ ठीकै कहत होइहैं, कहूँ न कहूँ ते खोदि कै या जानकारी निकारेन होइहैं, कउनौ बेद-सास्त्र बांचेंन होइहैं...

   मुला याक बात हम तबहूँ स्वाचा रहै कि जब दुई हजार बारा मा दुनिया खतमै होई जाई तौ हम यू जानिहू के का करि लेबे,सब बरम बाबा की माया है...... ई लोग यू सब हमका काहे बता रहे हैं, फिर स्वाचा जब बताहे रहे हैं तौ कउनौ न कउनौ मतलब होइबै करी, बड़े लोगन की बड़ी बात... अइसेहे काहे बतावै लाग, अरे पण्डितौ जी तौ हाथ द्याखत हैं, कुण्डली बांचत हैं..... आगा-पीछा सब बतावत हैं, यही खातिर तौ, कि जउन मुसीबत आवै वाली है वहिका उपाय करा लेव, जग्य-हवन, माला-मंतर सेने सब फिट कराय लेव, एहिमा दूनौ जनेन का फायदा,पण्डितजी का दान-दच्छिना मिलि जाए औ मुसीबतौ टलि जाय......पण्डितौ खुस, जजमानौ खुस। औ जो पण्डित डेरवावैं न, तौ उनहुन का काम न चलै, उनकी तौ यहै रोजी, लगे हाथ लोगन का कल्यानौ होई जात है।

   यू सब स्वाचै के बाद हम स्वाचा, मीडिया वाले मुसीबत तौ बताय दिहिन, कउनौ उपाय तौ बतायेन नहीं........... जरुर कउनौ उपाय होबै न करी नहीं तौ जहाँ एत्ता बतायेन तहाँ उपायौ जरूर बतउतैं...... बस!!!..... यहै बात हमार जिउ लई लीन्हेस..... चार-छा दिन तक खाना पीना कुछौ नीक न लागै....जेहिका देखी, वही पर झउंकि परी....... घरैतिन कहैं, यू तुमका होई का गा है, कउनौ पण्डित-बैद का देखा लेव, कल्हि बड़कए कक्कू खियाँ फोन किया रहै, कहत रहैं, भईया का एतवार-मंगर मा लेति आओ, लल्लन की ससुरार मा याकै हैं, बहुत बढ़िया फूंक डारत हैं। हम कहेन, तुम्हारौ दिमाग फिरि गा है.... अब फूंक डरवाये का फायदा, कक्कू ते कहौ माया-मोह छोड़ि कै भगवत-भजन करैं औ जऊन कुछ नीक-सूख मिलै प्रेम ते खायं।

   एहिके बाद हमका न जाने कउनी- कउनी चिंता सतावै लागीं, पार साल बरमा  जी की बिटिया के बियाहे मा लोहे की अलमारी दीन रहै, आसौं हमरे हियाँ कउनौ कामौ-काज नहीं है। छोटकए भाई के साले पचीस हजार रूपया लई गे रहैं, जो साल भीतर न लउटारेन तौ फिर कउने काम का पइसा....द्याखौ अबहीं उनकी नाक मा दम करित है..... अइसी-तइसी मा गै रिस्तेदारी। बीमा मा तमाम पइसा जमा है, वहिका का होई, बैंक मा दुई-एक छोटी-मोटी रकमौ(FD) जमा हैं, बड़ा असमंजस है, रकम निकारी कि जमा रहै देई.... यहे तना के तमाम बिचार हमका बिचलित करत रहे, फिर हम मन मा स्वाचा कि घूरे पर वाली जमीन के बैनामा मा मिसरा जी से जउन पैंतालिस हजार रूपया लीन रहै, उई अब हम न देबे,कम ते कम साल भर तो नाहेन देबे। जहाँ तक होई सकी सौ- दुई सौ खरचा करि के बिजली का बिलौ न जमा करिबे औ द्याखौ कउनौ बैंक से लम्बे करजा क्यार जुगाड़ लगाईत है........यू बिचार मन मा आवै के बाद कुछ तसल्ली भै।

   घरैतिन कहेन- पायल टूटि गई हैं, जोड़वा देव या नई लई देव, वहिके बाद कहेन- घर मा का है का नहीं कुछौ द्याखत नहीं हौ, ओवाढ़ै -बिछावै का दुई-तीन रजाई-गद्दा बनवा लेव। हम कहेन कउने चक्कर मा परी हौ.....कुछौ जनतिहू हौ कि बेमतलब हमार खोपsड़ी खा रही हौ.... साल भर की बात है, का फायदा पइसा फंसाए, अब तौ जउन बढ़िया ते बढ़िया खा पी सकौ, खा-पी लेव, खुद खाओ औ लरिका-बच्चनौ का खवाओ, काहे ते खावै-पिया साथ जाई। एहिके बाद तौ हमार अउर घरैतिन क्यार आंकड़ै बिगड़ि गा, लेकिन हम खाये-पियै मा कउनौ मुरउवत नहीं किया। बैंक-शैंक मा जहाँ जउन पइसा रहै सब का भोग लागि गवा।

   अउर अब, जब यू साल नीके-नीके बीति रहा है तौ हमार हालत बड़ी पतली होई गै है, सोचित है… बड़ा ध्वाखा होई गा। ई मीडिया वाले हमका लई डारेन, लेकिन उई यू सब कीन्हेन काहे? ........ हमरे पड़ोस मा याकै दिच्छित जी रहत हैं, प्राइमरी स्कूल मा महाट्टर हैं, दुई-चार बार हमरे हियाँ वऊ दावत उड़ा गे रहैं, उई बतायेन ई खबरी चैनल वाले बिग्यापन ते लाखों-करोड़ों कमात हैं, अब चौबीसों घंटा का देखावैं, तौ यहे तना लोगन का उल्लू बनावत हैं, दिच्छित जी यहौ बताएन कि अमरीका वाले..... अरे ऊ का कहत हैं... हाँ! हालीबुड मा, हुवां कोलम्बिया पिच्चर वाले याक पिच्चर बनाइन रहै- दुई हजार बारा ''को-को बची" (2012 who will survive). उई लोग या पिच्चर हजार करोड़ मा बनाय के यहे तना लोगन मा पहिले भरम फइलाएन फिर अड़तीस अरब रूपया कमा लीन्हेन। अच्छा.......!! अब समझेन, यू सब पइसा क्यार खेल रहै औ अमरीका वाले हमरे 'ईमानदार' चैनल वालेन का ई सब लच्छन सिखाइन हैं।

   याक बात अउर याद आ रही है, चैनल वाले कउनौ नाम बतावत रहैं..... कि कहाँ यू सब लिखा रहै..... अरेssss..... अरे हाँ! माया सभ्यता, हाँ- अइसै कुछ कहत रहैं। राम जानै माया सभ्यता रहै कि असभ्यता, यू सब हम नहीं जानित, हाँ एत्ता जरुर जानित है कि हमरे हियाँ मायाराज रहै, अब तौ यहौ लागत है माया सभ्यता मा कही बातन मा कुछ न कुछ सच्चाई जरुर रहै काहे ते हमका खतम करै मा कउनौ कसर तौ छोड़ी नहीं गै, गरीब-गुरबन के इलाज का आठ हजार करोड़ रूपया डकारि गे, गरीब मरै तो मरै, पत्थरन मा लागै वाला पइसौ चांटि-पोंछि गे....... कउनौ कोइला खाए जा रहा है, कउनौ बिकलांगन की कुर्सी-कैलीपर खाए जा रहा है, जऊन फाइल ख्वालौ वही मा हमरे-तुम्हरे कतल की कहानी लिखी है, महँगाई मारे डार रही है, सिलेंडरौ छाहे मिलिहैं, पिटरोल अस्सी रूपया मा होई गा, जिनगी बड़ी मुश्किल होई गै है..... एत्ता होय के बादौ जिन्दा हन यहै बड़ी बात है..... बरम बाबै की किरपा है.... मुला याक बात हम बरम बाबौ ते कहे देइत है, अब ई सूखी किरपा ते काम चलै वाला नहीं है...... अब उनका कउनौ कलंकी औतार लई के भुईं पर आवैहेक परी.......  

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