शनिवार, 24 मई 2014

मुहौब्बत कर गुज़र जाइये....

इस तरह तनहा न हमें छोड़कर जाइये
सुकूं मिलता हो पहलू में तो ठहर जाइये

त'आर्रुफ़ है नया,मुलाक़ात चंद लम्हों की
धीरे-धीरे आप यूँ ही दिल में उतर जाइये

ग़ज़लें भी होंगी, गीत और रुबाई भी
कभी मेरी महफ़िल में भी नज़र आइये

ज़िन्दगी बुलाती है तो जाइये बड़े शौक़ से

मगर दुवाएं भी मेरी साथ लेकर जाइये

मुश्किल हैं नफ़रतें, दिल जलाती हैं
इक बार मुहौब्बत भी कर गुज़र जाइये